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Thursday 12 September 2013

हंसी का खजाना || शादी से पहले और शादी के बाद कुछ यूं हो जाता है इंसान का हाल ||




उसका शरीर जर्जर है, लगता है लुटा लुटा सा।
बाल भी बिखरे बिखरे हैं, लगता है पिटा पिटा सा।
मस्तिष्क अस्त व्यस्त है, है कहीं खोया सा।
जाग रहा है पर लगता है जैसे वो सोया सा।
लगता है तबियत उसकी...।
अब आधी हो गयी है...।
जी हाँ आप सही समझे...।
उसकी शादी हो गयी है...।

यार दोस्त जब भी बुलाते सदा वो फंसता था।

खर्चा भी करता था हरदम फिर भी हंसता था।
जब भी मिलता मुस्कुराता ओर हर्षाता था।
सुखा सुखा लगता है बादल सा बरसता था।
लगता है के अंग्रेजी पतलून...।
अब खादी हो गयी है...।
जी हाँ आप सही समझे...।
उसकी शादी हो गयी है...।

अरे खुल्ले दिल का मालिक था, कंजूस हो गया है।

दो की जगह एक ही खाता, मक्खीचूस हो गया है।
पार्टी करता मौज उड़ाता क्या रंग वो जमाता था।
पूरा ऐटम बम था वो , बेचारा फुस्स हो गया है।
लगता है बीवी उसकी,
उसकी दादी हो गयी है।
जी हाँ आप सही समझे।
उसकी शादी हो गयी है।

रोज मिला करते थे हम सारे दोस्त गली के नुक्कड़ पर।

मौक़ा ताड़ते रहते थे और नज़र पड़ोसी के कुक्कड़ पर।
एक दिन देखा जब मैंने उसे कई कई थैलों संग।
सोचता हूँ कैसा हो गया, जब नज़र पड़ी उस सुक्कड़ पर।
पहले साल में हैं जुड़वां।
डबल आबादी हो गयी है।
जी हाँ आप सही समझे।
उसकी शादी हो गयी है।

कभी तो इसको कभी तो उसको ढूंढता रहता था।

भंवरे जैसा उड़ता फिरता घूमता रहता था।
बन गया है पालतू अब पत्नीव्रता पति वो।
जो हर कली हर फूल को बाग़ में चूमता रहता था।
लगता उसकी जिन्दगी अब।
इन सबकी आदी हो गई है।
जी हाँ आप सही समझे।
उसकी शादी हो गयी है।

कहता था शादी का लड्डू ईक न ईक दिन खा लूंगा।

पछताना ही है तो क्या, अरे! बाद में पछता लूंगा।
यार दोस्त तुम साथ हो मेरे कभी जो विपदा आन पड़ी।
तो तुममें से मदद के लिए किसी को भी बुला लूंगा।
लगता है लड्डू हजम न हुआ।
गैस और बादी हो गयी है।
जी हाँ आप सही समझे।
उसकी शादी हो गयी है।

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